पटना (के.एन.सिंह) : केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) एक फैसले में सुनवाई के बाद एक अहम फैसला लिया है. आयोग ने फैसला में कहा कि अब आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी याचक के मौत के बाद भी सार्वजनिक की जाएगी. तथा जब तक सूचना मुहैया नहीं करा दी जाएगी, तब तक लड़ाई जारी रहेगी और इस लड़ाई पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि सूचना मांगने वाला जिंदा है या नहीं. जानकारी के लिए बता दें कि सीआईसी ने कई विसलब्लोअर और आरटीआई कार्यकर्त्ता की रहस्यमय मौत के बाद यह फैसला किया है. केन्द्रीय सूचना आयोग रेग्युलेशंस 2007 के सेक्शन 24 के मुताबिक, “कमीशन के पास लंबित कार्यवाही अपील या शिकायत करनेवाले की मौत के साथ खारिज हो जाएगी.” हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में इसको पलट दिया था. 2011 में आयोग ने कहा था कि वह किसी मामले की सुनवाई तभी करेगा, अगर कोई मानवाधिकार कार्यकर्त्ता या गैरलाभकारी संगठन यह शिकायत करता है कि अपील करने वाले को इसलिए मार दिया गया कि वह संवेदनशील सूचना मांग रहा था. गौरतलब है कि कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशटिव (CHRI) के आंकड़ों के मुताबिक, 2006 से लेकर 2018 के बीच आरटीआई यूजर्स पर हमले के 428 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें हत्या के 73, हमले के 166, उत्पीड़न और धमकी के 183 और खुदकुशी के 6 मामले शामिल हैं.
CIC का बड़ा फैसला
राइट टू इन्फॉर्मेशन (RTI) ऐक्ट के तहत बनाई गई फाइनल अथॉरिटी CIC ने फैसला किया है कि उसके पास दर्ज शिकायत या अपील की फाइल सूचना मांगने वाली की मौत होने के बाद बंद नहीं होगी। यह फैसला पिछले महीने फुल कमीशन के विस्तृत विचार विमर्श के बाद लिया गया। आयोग ने इस बारे में आदेश जारी किया है और यह स्पष्टीकरण दिया है, ‘आयोग ने फैसला किया है कि अपील/ शिकायत करनेवाले की मौत होने पर भी मामले की सुनवाई सामान्य तरीके से होगी और जो भी फैसला होगा वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।’
केंद्र सरकार का मसौदा खारिज
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर ईटी से कहा, ‘अब हम किसी शिकायत का इंतजार नहीं करते। हम ऐसे मामलों को सामान्य मामलों की तरह लेते हैं। सूचना की तलाश मौत के भी जारी रहती है।’ CIC का यह फैसला उस संदर्भ में अहम हो जाता है जिसमें मोदी सरकार ने 2017 में ऐसे आरटीआई नियमों का मसौदा पेश किया था जिसके मुताबिक अपील करनेवाले की मौत के बाद आरटीआई ऐप्लिकेशन खारिज हो जाएगी। आयोग उसे पहले ही खारिज कर चुका है और सरकार को बता चुका है कि नए नियमों की कोई जरूरत नहीं।