मधुबनी जिले झंझरपुर प्रखंड अन्तर्गत सुखेत पंचायत के मच्छी गाँव क रहने वाले 70 वर्षीय मजलूम नदाफ एक रिक्शा चालक हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी रिक्शा खींचना उनकी मजबूरी है। उनकी जिन्दगी का सहारा उनका कमाऊ पुत्र करीब चार वर्ष पूर्व बीमारी के चपेट में आकर दवा और उचित इलाज के अभाव में स्वर्ग सिधार गया। उन्हें वर्षों से रहने हेतु एक आवास की आवश्यकता थी।
वर्ष 2002 में ग्राम सभा ने भी मजलूम को इस लायक समझ उन्हें इसका लाभ दिए जाने की अनुशंसा की। परन्तु भ्रष्टाचार एवं बिचौलियों की भेंट चढ़ चुकी इस आवास योजना का लाभ बिना ‘सुविधा शुल्क” शायद ही किसी को मिलता है। मजलूम से भी इंदिरा आवास पाने के लिए रिश्वत की माँग की गई। बुढ़ापे में पेट की खातिर रिक्शा खींचने को विवश मजलूम ने रिश्वत देने में असमर्थता जाहिर की तो उन्हें इसका लाभ नहीं मिला। 7 अप्रैल 2006 को मजलूम को जब सूचना अधिकार कानून की जानकारी मिली तो उन्होंने इसके तहत अनुमंडल पदाधिकारी, झ्झरपुर क पास एक आवेदन दिया तथा अबतक इंदिरा आवास से वंचित रखे जाने को लेकर कई सवाल पूछे। अनुमंडल पदाधिकारी ने उक्त आवेदक को वांछित सूचना उपलब्ध करने का निर्देश स्थानीय बीडीओ को दिया। इसपर तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री विजय कुमार ने अपने कार्यालय की भूल सुधारते हुए 27042007 को मजलूम के घर जाकर इंदिरा आवास की प्रथम किश्त के रूप में 15,000/- रुपये का चेक उनके सुपुर्द किया। आज मजलूम के पास इंदिरा आवास के तहत पक्का का मकान है। मजलूम की कहानी बिहार के उन गरीबों की कहानी है जिन्होंने इस कानून का प्रयोग कर अपना हक हासिल किया।